Sunday, August 21, 2011

प्रभु श्रीकृष्ण के विग्रह की भव्य सज्जा

कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा
पूजा कक्ष में जहाँ श्रीकृष्ण का विग्रह विराजमान होता है, वहाँ पर आकर्षक रंगों की रंगोली चित्रित की जाती है। इस रंगोली को 'धान के भूसे' से बनाया जाता है। घर की चौखट से पूजाकक्ष तक छोटे–छोटे पाँवों के चित्र इसी सामग्री से बनाए जाते हैं। ये प्रतीकात्मक चिह्न भगवान श्रीकृष्ण के आने का संकेत देते हैं। मिट्टी के दीप जलाकर उन्हें घर के सामने रखा जाता है। बाल श्रीकृष्ण को एक झूले में भी रखा जाता है। पूजा का समग्र स्थान पुष्पों से सजाया जाता है।

मध्यरात्रि को पूजा–अनुष्ठान
जन्माष्टमी के अवसर पर मन्दिरों को अति सुन्दर ढंग से सजाया जाता है तथा मध्यरात्रि को प्रार्थना की जाती है। श्रीकृष्ण की मूर्ति बनाकर उसे एक पालने में रखा जाता है तथा उसे धीरे–धीरे से हिलाया जाता है। लोग सारी रात भजन गाते हैं तथा आरती की जाती है। आरती तथा बालकृष्ण को भोजन अर्पित करने के बाद सम्पूर्ण दिन के उपवास का समापन किया जाता है।

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